भूकी आँखें कल को देखीं झूटी आस लगाए आने वाली कल कब आ कर आज की भूक मिटाए आने वाली कल पे भरोसा कब आए क्या लाए बीती कल बीती कल के दीप की लौ कब आज की जोत जगाए माया छल के छाया ढल के लौट के फिर नहीं आए आज की भूक है आज का रोना आज का राग सुहाग झूट कपट से लाग-लिपट से आज के दीप जलाओ आज के मंगल गाव बीती कल के दीप की लौ कब आज की जोत जगाए आने वाली कल पे भरोसा कब आए क्या लाए