आज़ाद कर दो By Nazm << मेरे मुजरिम मज्ज़ूब >> सुनो इक बात कहनी है मुझे आज़ाद कर दो तुम हर इक बे-नाम बंधन से जुदाई की अज़िय्यत से हिज्र की काली रातों से सभी बे-नाम रिश्तों से सभी बे-दाम वा'दों से वफ़ा के झूटे दा'वों से सुनो इक बात कहनी है मुझे आज़ाद कर दो तुम Share on: