वो दिन था बड़ा ही तारीख़ी जब हम को मिली थी आज़ादी इस जंग में शामिल थे कितने 'आज़ाद' 'जवाहर' और गाँधी पंद्रह ये अगस्त जो आ पहुँचा मग़रिब से नजात हम ने पाई टूटीं ज़ंजीर ग़ुलामी की कितनी ये मुबारक साअ'त थी इस दिन को मनाएँ ख़ुशियों से और सह रंगे को लहराएँ उन वीरों को हम याद करें जिन की मेहनत बर आई थी जन्नत से है बढ़ कर आज़ादी हर साअ'त अपनी साअ'त है कश्मीर से कन्या कुमारी तक मसरूर हुई है हर वादी उस की ख़ातिर जो वक़्त पड़े हम अपनी जान लुटा देंगे है फ़ख़्र हमें आज़ाद हैं हम 'अबरार' है ने'मत आज़ादी