झील किनारे अक्सर शाम को देखा करता नील गगन पर उड़ते गाते छोटी छोटी उजली काली नीली पीली चिड़ियों का दल वापस जाते काश कि मैं भी पंछी होता अपने साथी लड़कों के संग आज़ादी से इधर उधर मैं घूमता फिरता इस धरती के चारों जानिब जैसे नील गगन पर उड़ता चिड़ियों का इक झुण्ड