इतना क्यूँ नाराज़ हो मुझ पर यूँ मत डाँटो अब्बू जी मैं हूँ नन्हा मुन्ना बच्चा इतना जानो अब्बू जी यूँ मत डाँटो अब्बू जी तुम भी पहले बच्चे ही थे ये मत भूलो अब्बू जी नट-खट भी मुझ जैसे ही थे ये मत भूलो अब्बू जी जिस दिन ज़िद फ़रमाई होगी दादा से और दादी से उस दिन मार भी खाई होगी दादा से और दादी से बचपन नाम शरारत का है तुम भी समझो अब्बू जी यूँ मत डाँटो अब्बू जी