एहसास By Nazm << क्या चीज़ लोगे बे-मा'नी रिश्ते >> ये कमरा तो फिर से वही है वही मैं वही बल्ब का एक जानिब से उखड़ा हुआ होल्डर भी मगर आज फिर ये हवा अजनबी है Share on: