ऐ दिल-ए-अफ़सुर्दा पीने की बहारें आ गईं काली काली बदलियाँ फिर आसमाँ पर छा गईं दामन-ए-कोहसार से ठंडी हवा आने लगी नब्ज़-ए-ख़स में ज़िंदगी का ख़ून दौड़ाने लगी मोतिए के फूल गुलज़ारों में लहराने लगे लाला-ओ-नस्रीं के जल्वे रंग पर आने लगे है कनार-ए-आब-ए-दरिया माह-पारों का हुजूम जिस तरह शादाब रातों में सितारों का हुजूम काले काले आँचलों में उन के चेहरे नूर-पाश गहरे गहरे बादलों में बिजलियों का इर्तिआ'श गुल-बदन गुल-पैरहन महताब-रुख़ नाज़-आफ़रीं दिलरुबाई की अदाकारी में ए'जाज़-आफ़रीं कुछ लगावट कुछ हया कुछ शोख़ियाँ कुछ इज़्तिराब अपने साए से गुरेज़ाँ अपने साए से हिजाब दिलबरी के सब तरीक़े सादगी के रंग हैं सादगी के सब तरीक़े दिलबरी के रंग हैं ऐ दिल-ए-अफ़सुर्दा ऐ कम-बख़्त ऐ हसरत-नसीब ऐ फ़रेब-ए-हुस्न के पामाल ऐ फुर्क़त-नसीब तू है और उस बे-वफ़ा की बेवफ़ाई के गिले बेवफ़ाई के गिले दर्द-ए-जुदाई के गिले हर तरफ़ इक आलम-ए-कैफ़-ओ-तरब छाया हुआ और तू ऐ बद-नसीब-ए-शौक़ मुरझाया हुआ कैसे कैसे मह-जबीं हैं नूर-पैकर बर्क़-ताब दिल-नवाज़ी के लिए बेताब है जिन का शबाब इन हसीनों के इशारात-ए-मोहब्बत दिल-फ़रोज़ जिन के जल्वे दिलरुबा हैं जिन की तलअ'त दिल-फ़रोज़ दिलबरी के कैसे कैसे नुक्ता-दाँ मौजूद हैं सज्दा करना हो तो कितने आस्ताँ मौजूद हैं