मालिक मेरे भारी पत्थर ढोने वाले भूके प्यासे सोने वाले चुपके चुपके रोने वाले डरते डरते जीने वाले तेरे ही बंदे हैं या फिर उन का कोई और ख़ुदा है मालिक मेरे ऐसा क्यों है इक जन्नत के वा'दे पर तू पल पल दोज़ख़ में रखता है ऐसा क्यों है इक रोटी की ख़ातिर बंदा सब कुछ गिरवी रख देता है और इक बंदा सब कुछ गिरवी रख लेता है मालिक मेरे धरती पर तू ने भेजा था धातें पत्थर पेड़ परिंदे तू ने मेरे बा'द बनाए लेकिन ये सब मुझ से आगे क्यों रहते हैं मुझ पर भारी क्यों पड़ते हैं