ऐसा क्यूँ होता है By माँ, रिश्ता, Nazm << कत्थई शाम वजूद >> मैं अक्सर सोचता हूँ ऐसा क्यूँ होता है औलादों को अपने बाप माएँ याद आती हैं तो आँखों में फ़क़त माँ बाप के बूढ़े सरापे ही उभरते डूबते और झिलमिलाते हैं मैं अक्सर सोचता हूँ ऐसा क्यूँ होता है ममता से भर्राई माँ बाप की आँखों में औलादें कभी बूढ़ी नहीं होतीं Share on: