अजनबी आसमान By Nazm << मुजरिम आँखें >> जब तू ने इस अजनबी आसमान को आख़िरी बार नज़र भर कर देखा और दम तोड़ दिया जब गर्म सुहानी सोंधी सी अनजानी मिट्टी में तेरे ख़ून की आख़िरी बूँदें जज़्ब हुईं उस दम मरने वाले जिस्म का रेशा रेशा ठंडे फ़ौलाद की ताक़त पर जी भर के हँसा था Share on: