अजनबी By Nazm << क़िस्सा-गो क़ैद से नजात >> मुज़्महिल ख़ाल-ओ-ख़द अजनबी सिलवटें और आँखों में कुछ ग़ैर मानूस सी उलझनें आज सुब्ह शेव करते हुए आईने में लगा मैं नहीं हूँ कोई और है कोई ऐसा जिसे मैं नहीं जानता Share on: