बचपन से अम्माँ से सुना करते थे 'पांचों उँगलियाँ एक बराबर नहीं होतीं' लेकिन पिछले कुछ बरसों से अम्माँ मंझली उँगली को खींच रही हैं कहती हैं: 'उस को कैसे छोड़ूँ पीछे रह जाएगी' मंझली उँगली भी तो आख़िर जानती होगी 'पांचों उँगलियाँ एक बराबर नहीं होतीं' पीछे रह जाने का दुख तो मंझली उँगली सह जाएगी लेकिन छोटी उँगली? जिसे दबा कर अम्माँ मंझली उँगली खींच रही हैं