हाँ ये आख़िरी सदी है इस के इख़्तिताम पर ये ज़मीं सूरज की गिरफ़्त से निकल कर अंधेरों में डूबती चली जाएगी और किसी तारीक सय्यारे से टकरा कर टुकड़े टुकड़े हो जाएगी! और फिर यूँ होगा ज़मीं के इक टुकड़े पर इक दरख़्त होगा और उस की छाँव में इक भाई और इक बहन इक दूसरे से लिपट कर सो रहे होंगे और शैतान उन के तलवे चाट रहा होगा और ज़मीं का वो टुकड़ा इक नए सूरज के गिर्द चक्कर काट रहा होगा!!