मांस की फ़सलें जवाँ हो कर परेशाँ हो गई हैं हवा की सल्तनत में हिलते रहने के अलावा और कुछ चारा नहीं है कर के तख़्लीक़ बता दो लोगो मांस के पेड़ लगा दो लोगो छीन लो सारी चमक हाथों से और फिर इन में असा दो लोगो जब भी तूफ़ाँ कोई उठना चाहे रेत में उस को दबा दो लोगो तंग तह-ख़ानों से बाहर निकलो काएनातों को सदा दो लोगो वर्ना तुम को ये दबोचेगा अभी ख़ौफ़ को चीख़ बना दो लोगो ख़ुश्क पेड़ों की कथाएँ सुन लो उन में फिर आग लगा दो लोगो