जनवरी का महीना जो आ कर गया फिर नए साल की इब्तिदाई कर गया फ़रवरी कर रहा है जुदा सर्दियाँ हम उतारेंगे अब ऊन की वर्दियाँ मार्च है साल का तीसरा माह-ए-नौ सब को करता है तल्क़ीन अब ख़ुश रहो माह अप्रैल में इम्तिहाँ आएँगे रात-दिन पढ़ के हम पास हो जाएँगे लो मई आ गया बंद मकतब हुए गर्मियों से परेशान हम सब हुए जून बारिश की लाए ख़बर दोस्तो है फ़लक की तरफ़ हर नज़र दोस्तो है जुलाई के आने के अब सिलसिले खुल गए सारे स्कूल मकतब खुले साल में जब भी माह-ए-अगस्त आ चला अपनी आज़ादियों का बढ़ा क़ाफ़िला जब भी माह-ए-सितंबर जनाब आएगा खेतियों पर ग़ज़ब का शबाब आएगा लाए ख़ुश-हालियाँ देखना अक्टूबर खेत खलियान को हो रही है नज़र कितना पुर-कैफ़ मौसम नवम्बर में है मोतियों जैसी शबनम नवम्बर में है साल रुख़्सत हुआ लो दिसम्बर चला हो शुरूअ' अब नए साल का सिलसिला