ब़ाँबी By Nazm << अधूरा उंसुर तकमील >> दोस्ती कहाँ जाए? उस की आस्तीनों से बिफरे साँप निकले हैं गुथ गए हैं मुँह खोले बीन वज्द करती है और सपेरा हँसता है Share on: