ऐ चचा ख़र्रू शिचोफ़ ऐ मामूँ केंडी अस्सलाम एक ही ख़त है ये मामूँ और चचा दोनों के नाम आप दोनों का अदब करना हमारा फ़र्ज़ है फिर भी सुन लीजे जो छोटी सी हमारी अर्ज़ है आप दोनों हैं बहादुर सूरमा क्या इस में शक एक बादल की गरज है एक शो'ले की लपक आप दोनों के बयाँ सुन सुन के डर जाते हैं हम धम से आ गिरते हैं हम बच्चों पे ये लफ़्ज़ों के बम डर के छुप जाते हैं अपनी माओं के आग़ोश में काश हम बेहोश हो कर फिर न आएँ होश में आप दोनों लड़ पड़े तो जाने क्या हो जाएगा दो मिनट में इस जहाँ का ख़ात्मा हो जाएगा आग लग जाएगी इस दुनिया को मर जाएँगे सब जो बयाँ देते हैं वो ख़ामोश हो जाएँगे लब दो मिनट ज़िंदा रहेंगे हम भी मरने के लिए कौन फिर बाक़ी रहेगा राज करने के लिए ऐसा लगता है कि कुछ दिन और जीना है मुहाल गर नहीं अपना तो बच्चों ही का कुछ कीजे ख़याल इक तरफ़ नफ़रत खड़ी है दूसरी जानिब ग़ुरूर क़हर की चक्की में पिस जाएँ न बच्चे बे-क़ुसूर ले चुके हैं आप तो जी भर के दुनिया के मज़े हम को इन से दूर रखना चाहते हैं किस लिए गर इजाज़त हो तो हम बच्चे भी दुनिया देख लें चार दिन हम भी ये भालू का तमाशा देख लें कुछ भी तो स्कूल और घर के सिवा देखा नहीं आप कहिए आप ने दुनिया में क्या देखा नहीं जंग मत कीजे न दुनिया की इमारत ढाइए सोचिए कुछ ग़ौर कीजे देखिए बाज़ आइए आप ने दुनिया सजाई थी मिटाने के लिए अक़्ल की शमएँ जलाई थीं बुझाने के लिए इल्म-ओ-हिकमत साइंस ने की थी तरक़्क़ी के लिए अक़्ल की शमएँ जलाई थीं बुझाने के लिए इल्म-ओ-हिकमत साइंस ने की थी तरक़्क़ी किस लिए नीस्त-ओ-नाबूद आज हम कर दें उसे क्या इस लिए हम ने माना आप का आपस में है कुछ इख़्तिलाफ़ इक जगह हम बैठ कर कर लें न क्यूँ दिल अपने साफ़ अपनी इस दुनिया की हालत इस क़दर जब ज़ार है इस को देखें चाँद में जाना अभी बे-कार है दूर कीजे दिल से नफ़रत और गले मिल लीजिए ज़िंदगी की जुस्तुजू में ख़ुद-कुशी मत कीजिए जंग करनी है तो कीजे हो मगर ऐसी वो जंग आसमाँ भी जंग ऐसी देख कर हो जाए दंग जंग के बारे में हम बच्चों की इक तज्वीज़ है ताकि सब ख़ुश हो के बोलें जंग अच्छी चीज़ है आप को मा'सूम बच्चों का है गर कुछ भी ख़याल बैठे बैठे एक दम हो जाइए ग़ुस्से से लाल खोए की तोपें लिए मैदान में आ जाइए इन से रस-गुल्लों के गोले हर तरफ़ बरसाइए मीठे गोले आप की तोपों के हम खाते रहें होंट ये क़ौमी तराने दम-ब-दम गाते रहें हों हर इक बंदूक़ में रबड़ी के रंगीं कारतूस और हर इक टैंक की टँकी में मौसम्मी का जूस आप के दुश्मन की फ़ौजों को हो जब ग़ुस्से की प्यास पेश कीजे मुस्कुरा कर उन को शर्बत का गिलास दूध के सागर में हों कूज़े की मिस्री के जहाज़ जिस में हों जासूस सीने में लिए टॉफ़ी के राज़ बम फटें तो उन से निकलें झट खिलौने बे-शुमार ठा हो और लग जाए गुड्डों और गुड़ियों की क़तार गर कोई बीमार हो चिल्ला रहा हो पेन से चाकलेट पहुँचाइए झट उस को एरोप्लेन से कोई ना-माक़ूल आ कर गालियाँ भी दे अगर उस से कहिए भाग जा हट तेरे मुँह में घी शकर तीर उल्फ़त के चलें गोली चले एहसान की ख़त्म कर दीजे रऊनत इस तरह इंसान की चप्पे चप्पे पर जहाँ में ऐसे एटम-बम फटें इस जहालत के अंधेरे में उजाला जो करें राकेटों में हो मदद लाखों ग़रीबों के लिए और अगन बूटों में ख़ुशियाँ बद-नसीबों के लिए भूके बच्चों पर फ़लक से रोटियाँ बरसाइए मोज़े जूते कुछ क़मीज़ें नेकरें फिकवाइए जंग की बारूद में ज़ाएअ' न कीजे माल-ओ-ज़र मुस्कुरा कर डालिए लाखों ग़रीबों पर नज़र जो ग़रीबी की थकन से हो रहे हैं चूर-चूर उन की जेबें फ़ालतू नोटों से भर दीजे हुज़ूर प्यार का उल्फ़त का हर ज़ख़्मी को मरहम दीजिए अपनी ख़ुशियाँ दे के दुख वालों के दुख ले लीजिए जो भलाई में मज़ा है वो बुराई में नहीं बंदगी में जो मज़ा है वो ख़ुदाई में नहीं ये जहाँ प्यारा जहाँ क्यूँ जंग में बर्बाद हो इस ज़मीं पर क्यों न जन्नत प्यार की आबाद हो जोड़ कर हम हाथ नन्हे ख़त को करते हैं तमाम आप के बच्चों को सब दुनिया के बच्चों को सलाम