उठो उठो उठो उठो कमर कसो कमर कसो सहर से पहले चल पड़ो कड़ी है राह दोस्तो थकन का नाम भी न लो बढ़े चलो बढ़े चलो झिजक न दिल में लाओ तुम बस अब क़दम उठाओ तुम ज़रा न डगमगाओ तुम ख़ुदा से लौ लगाओ तुम मलूल-ओ-मुज़्तरिब न हो बढ़े चलो बढ़े चलो उठा दिया क़दम अगर तो ख़त्म है बस अब सफ़र है राह साफ़-ओ-बे-ख़तर न कोई ख़ौफ़ है न डर चले चलो बढ़े चलो बढ़े चलो बढ़े चलो तुम्हारे हम-सफ़र जो थे वो मंज़िलों पे जा लगे सब आगे तुम से बढ़ गए मगर हो तुम पड़े हुए ज़रा समझ से काम लो बढ़े चलो बढ़े चलो दिलों में जो हो वलवला तो डाल दोगे ज़लज़ला रहे बुलंद हौसला वो सामने है मरहला वहीं पहुँच के साँस लो बढ़े चलो बढ़े चलो