पत्ती पत्ती झूम रही थी मस्त हवा थी महक रहा था फूलों की ख़ुश्बू से सारा बाग़ बाग़-बहार को देख के भौंरा मस्त हुआ ललचाया उस पर कर दे जान निछावर उस के मन में आया शौक़ से बे-ख़ुद हो कर वो इक फूल की जानिब लपका इतने में माली ने बढ़ कर तोड़ लिया वो फूल जी भँवरे का टूट गया और हो गई ख़त्म बहार