जब पढ़ाई करते करते बोर हो जाता हूँ मैं दाब कर बल्ला बग़ल में फ़ील्ड पर आता हूँ मैं फिर नहीं दुनिया-ओ-मा-फ़ीहा का कुछ रहता ख़याल खेलता जाता हूँ मैं बस खेलता जाता हूँ मैं डेड पिच हो या स्लो बॉलर तो मेरे ऐश हैं फ़ासट पिच और तेज़ बॉलर हो तो घबराता हूँ मैं इन कटर आउट कटर से हो के बिल्कुल बे-नियाज़ बंद कर के आँख बस बल्ला घुमा जाता हूँ मैं जब मैं छक्का मारता हूँ और वो हो जाता है कैच अपनी इस दीवानगी पर झेंप सा जाता हूँ मैं ˈफ़ॉवड् जाता हूँ मैं गुगली उठाने के लिए अक़ब में अपने मगर विकटें गिरी पाता हूँ मैं सैंचरी का गरचे ले कर दिल में जाता हूँ ख़याल लेकिन अक्सर ले कर अंडा ही पलट आता हूँ मैं हो के अब मोहतात मैं खेलूँगा अगले मैच में हर दफ़ा ये कह के अपने दिल को समझता हूँ मैं