वो देखो उठी काली काली घटा है चारों तरफ़ छाने वाली घटा घटा के जो आने की आहट हुई हवा में भी इक सनसनाहट हुई घटा आन कर मेंह जो बरसा गई तो बे-जान मिट्टी में जान आ गई ज़मीं सब्ज़े से लहलहाने लगी किसानों की मेहनत ठिकाने लगी जड़ी-बूटियाँ पेड़ आए निकल अजब बेल पत्ते अजब फूल फल हर इक पेड़ का यक नया ढंग है हर इक फूल का इक नया रंग है ये दो दिन में क्या माजरा हो गया कि जंगल का जंगल हरा हो गया जहाँ कल था मैदान चटयल पड़ा वहाँ आज है घास का बन पड़ा हज़ारों फुदकने लगे जानवर निकल आए गोया कि मिट्टी के पर