काली काली घटाएँ छाईं ठंडी ठंडी हवाएँ आईं बरखा रुत की देखो बहारें कैसी सुहानी मेंह की फुवारें चम चम चम चम बिजली चमके छम छम छम पानी बरसे गरज रहा है कैसा बादल चारों ओर करेगा जल-थल बोले पपीहा पी हू पी हू कोयल गाय कू कू कू कू धरती पर फैली हरियाली झूम रही है डाली डाली आमों के पेड़ों पर तोते बैठे टें टें टें टें करते बरखा रुत कैसी है सुहानी चारों तरफ़ है पानी पानी