बेहतरीन दिन By Nazm << चाक़ू बच्चों की साइकल >> रोज़ फूल तोड़ कर मेज़ पर सजा दिए सुब्ह तुम को ख़त लिखे शाम को जला दिए ख़्वाब इक फ़्रेम में कील से लगा दिए घर की सीढ़ियों से सारे आईने गिरा दिए जितने गीत याद थे क्या कहें भुला दिए हम ने बेहतरीन दिन बस यूँही गँवा दिए Share on: