अकेला-पन परिंदे का परिंदे का अकेला-पन समाअ'त-गाह-ए-वीरानी में बुलबुल बोलती है अकेला-पन गडरिए का किसी सादा गडरिए का अकेला-पन वो इस शब भेड़ियों के दरमियाँ तन्हा नहीं होगा अकेला-पन मुसाफ़िर का किसी भूले मुसाफ़िर का अकेला-पन मुसाफ़िर क़ुव्वत-ए-पर्वाज़ से मजबूर है आगे निकल जाता है साहिल पर परिंदे घास पर टूटे हुए पर देखते हैं मुसाफ़िर के दरमियाँ तन्हा नहीं होगा अकेला-पन सितारे का सितारे का अकेला-पन सितारा टूटता है राख हो जाता है मिट्टी सब छुपा लेती है मिट्टी में कोई तन्हा नहीं होता फ़ना तामील दर्स-ए-बे-ख़ुदी है बे-इरादा ज़ीस्त कीजे बे-तक़ाज़ा पाइए कूचा-ए-बिंत-ए-सरा-ए-दहर में चलिए कभी सर-सलामत आइए और इक रक़्स-ए-फ़ना तामील दर्स-ए-बे-ख़ुदी चूंटियों के दरमियाँ भेड़ियों के दरमियाँ मिट्टियों के सिलसिलों के दरमियाँ रक़्स-ए-फ़ना बे-इरादा ज़ीस्त कीजे