रात बारिश फूल और इंतिज़ार मेरी भाषा में स्त्रियों के नाम हैं क्या फ़र्क़ पड़ता है जो कही भी रहूँ तुम्हारी सारी मुस्कुराहटें तस्वीरों में क़ैद हों पहुँच रही हैं मेरे पास ऐसा लग रहा धरती पर दो ही लोग बे-रोज़गार हैं एक मैं और दूसरा शायद वो आइना जिस में आज-कल तुम कम देखा करती हो