भागलपुर-5 By Nazm << ज़िंदगी मुअज़्ज़िज़ शाइ'र की ... >> सिर्फ़ हमारा शहर ही नहीं जला जल गई हमारी रेशमी तहज़ीब भी अब इन ही चिंगारियों से रह रह कर सुलग उठती है कोमल मन में नफ़रत की ज्वाला Share on: