भारी पेड़ों-तले By Nazm << मुश्तरका ख़्वाब की क़ब्र ... बेवा की जवानी >> कश्ती अंदर घूर समुंदर लहर लहर लहराए पोरों अंदर नीला अम्बर घुमर घुमर चकराए जिस को देखूँ डूबता जाए लौट के फिर नहीं आए गुम हो जाए कोई नहीं पाए Share on: