शरीर में कोई तड़प सी होगी या कोई आदत सी पड़ी होगी कई दिनो की कई चीज़ो की भूक तो होगी कोई मक़्सद होगा या यूँ ही ज़िंदगी नंगे पाँव की दौड़ होगी धूप को पर्दों से वापस भेज दिया अमीरों ने वो जा कर कई आँखों में अँधेरे भर रही होगी कुछ है नहीं टकराने को क्या उसी कारन मायूसी में लिपटी नींदें फैल के सो रही होगी ख़्वाबों में परियाँ खींच के लाई जाती होंगी बेबसी चंद निवालों से गले उतारी होगी महफ़िलों में कौन सी ख़ासियत बटती होगी कितनी ऊँचाई पे सपने रखे जाते होंगे क्या ख़्वाबों की परीभाषा भी पढ़ाई जाती होगी आँखों से बहती ज़िद से हासिल क्या होता होगा क्या टूटने पे फूट फूट के रोती होंगी कौन से क़िस्से होंगे जो ख़ाली पेट हँसी निकलती होगी बुख़ार में आराम के लिए कौन से बहाने धरते होंगे गाड़ियों के टायर के निशान सीने पे पड़ते होंगे सड़कों पे कई बचपन भूक में दब के मरते होंगे