इक आदमी सवेरे सर्दी से थरथराता रस्ते से जा रहा था देखा कि नौजवाँ इक बिल्ली को अपनी ले कर नहला रहा है जिस से पानी है बर्फ़ जैसा उस आदमी ने रोका तुम कर रहे हो ये क्या पड़ती है सख़्त सर्दी ऊपर से ठंडा पानी मर जाएगी ये बिल्ली इस बे-ज़बाँ के ऊपर थोड़ा सा तो रहम कर वो नौजवान अहमक़ ग़ुस्से में भर के बोला बिल्ली का मैं ही मालिक पानी भी मेरा अपना जो चाहूँ मैं करूँगा दाएँ न बाएँ झाँको चुप-चाप रस्ता नापो वो आदमी बेचारा चलता बना वहाँ से और बाद एक घंटा लौटा उसी जगह तो देखा कि नौजवाँ वो बैठा है सर पकड़ कर और सामने ही उस के बिल्ली मरी पड़ी है इस पर वो शख़्स बोला मैं ने तो पहले तुम को आगाह कर दिया था सर्दी में सर्द पानी नहलाओगे तो आख़िर बिल्ली नहीं बचेगी तुम ने मगर हमारी इक बात भी न मानी वो नौजवान बोला तुम कह रहे हो जो कुछ वैसा नहीं हुआ है बिल्ली की मौत की तो कुछ और ही वजह है सर्दी में पानियों ने इस को नहीं है मारा सच्चाई है बस इतनी नहला के मैं ने इस को जम कर निचोड़ डाला