चाँद पहले भी ख़ूबसूरत था आज भी चाँद ख़ूबसूरत है लोग कहते हैं चाँद के अंदर हर तरफ़ है मुहीब वीरानी हर क़दम पर भड़कते ज्वाला-मुखी हर तरफ़ रेत की फ़रावानी एक भी चीज़ फ़ाएदे की नहीं क्या हवा क्या अनाज क्या पानी चाँद बातिन में बद-नुमा ही सही ज़ाहिरन इक हसीन मूरत है चाँद पहले भी ख़ूबसूरत था आज भी चाँद ख़ूबसूरत है लोग कहते हैं चाँद के अंदर हर तरफ़ इक घना अंधेरा है ये तो सूरज से रौशनी ले कर सूरत-ए-आइना चमकता है दुनिया वालों के वास्ते लेकिन अब भी ये इक हसीन जल्वा है चाँद की पहले भी ज़रूरत थी आज भी चाँद की ज़रूरत है चाँद पहले भी ख़ूबसूरत था आज भी चाँद ख़ूबसूरत है