काट लेना हर कठिन मंज़िल का कुछ मुश्किल नहीं इक ज़रा इंसान में चलने की हिम्मत चाहिए मिल नहीं सकती निकम्मों को ज़माने में मुराद कामयाबी की जो ख़्वाहिश हो तो मेहनत चाहिए ख़ाक मेहनत हो सकेगी हो न जब हाथों में ज़ोर तंदुरुस्ती के लिए वर्ज़िश की आदत चाहिए ख़ुश-मिज़ाजी सा ज़माने में कोई जादू नहीं हर कोई तहसीं कहे ऐसी तबीअत चाहिए हँस के मिलना राम कर लेना हर हर इंसान को सब से मीठा बोलने की तुम को आदत चाहिए एक ही अल्लाह के बंदे हैं सब छोटे बड़े अपने हम-जिंसों से दुनिया में मोहब्बत चाहिए है बुराई ही बुराई काम कल पर छोड़ना आज सब कुछ कर के उठो गर फ़राग़त चाहिए जो बुरों के पास बैठेगा बुरा हो जाएगा नेक होने के लिए नेकों की सोहबत चाहिए साथ वाले देखना तुम से न बढ़ जाएँ कहीं जोश ऐसा चाहिए ऐसी हमिय्यत चाहिए हुक्मराँ हो कोई अपना हो या बेगाना दी ख़ुदा ने जिस को इज़्ज़त उस की इज़्ज़त चाहिए देख कर चलना कुचल जाए न च्यूँटी राह में आदमी को बे-ज़बानों से भी उल्फ़त चाहिए है इसी में भेद इज़्ज़त का अगर समझे कोई छोटे बच्चों को बुज़ुर्गों की इताअ'त चाहिए इल्म कहते हैं जिसे सब से बड़ी दौलत है ये ढूँड लो इस को अगर दुनिया में इज़्ज़त चाहिए सब बुरा कहते हैं लड़ने को बुरी आदत है ये साथ के लड़के जो हों उन से रिफ़ाक़त चाहिए हों जमाअत में शरारत करने वाले भी अगर दूर की उन से फ़क़त साहब सलामत चाहिए देखना आपस में फिर नफ़रत न हो जाए कहीं इस क़दर हद से ज़ियादा भी न मिल्लत चाहिए बाप-दादा की बड़ाई पे न इतराना कभी आदमी को अपने कामों की शराफ़त चाहिए गर किताबें हो गईं मैली तो क्या पढ़ने का लुत्फ़ काम की चीज़ें हैं जो उन की हिफ़ाज़त चाहिए