इक चमेली के मंडवे-तले मय-कदे से ज़रा दूर उस मोड़ पर दो बदन प्यार की आग में जल गए प्यार हर्फ़-ए-वफ़ा प्यार उन का ख़ुदा प्यार उन की चिता दो बदन ओस में भीगते चाँदनी में नहाते हुए जैसे दो ताज़ा-रौ ताज़ा-दम फूल पिछले-पहर ठंडी ठंडी सुबुक-रौ चमन की हवा सर्फ़-ए-मातम हुई काली काली लटों से लपट गर्म रुख़्सार पर एक पल के लिए रुक गई हम ने देखा उन्हें दिन में और रात में नूर-ओ-ज़ुल्मात में मस्जिदों के मनारों ने देखा उन्हें मंदिरों के किवाड़ों ने देखा उन्हें मय-कदों की दराड़ों ने देखा उन्हें अज़-अज़ल ता-अबद ये बता चारा-गर तेरी ज़म्बील में नुस्ख़ा-ए-कीमीया-ए-मुहब्बत भी है कुछ इलाज ओ मुदावा-ए-उल्फ़त भी है इक चमेली के मंडवे-तले मय-कदे से ज़रा दूर उस मोड़ पर दो बदन