छत पर बारिश बरस रही है दीवारों पर धूल जमी है खिड़की के पट अब भी खुले हैं चिड़िया अंदर झाँक रही है इन्दर शोर है सन्नाटे का बाहर शोर का सन्नाटा है अजब सा इक बाज़ार लगा है गूँगे बोलियाँ बेच रहे हैं अंधे ये सब देख रहे हैं शायद कुछ होने वाला है जाने क्या होने वाला है चिड़िया अंदर झाँक रही है