ये मेरी मौत पर छुट्टी का दिन है कैलेंडर पर छपी ये आज की तारीख़ मेरी मौत ही से लाल हो सकती थी शायद सवेरे तक जो काली रौशनाई से लिखी थी मज़ा ही कुछ अलग है ऐसी छुट्टी का अचानक जो मिली हो ये मेरा आख़िरी तोहफ़ा है अपने साथियों को वगरना पीर का दिन कितना सर-दर्दी भरा होता है दफ़्तर का ये दुनिया जानती है
This is a great छुट्टी पर शायरी.