चीज़ें अपनी जगह तब्दील करना चाहती हैं

उस लफ़्ज़ का
क्या मतलब है जो

तुम मोहब्बत में शुक्र-गुज़ारी के लिए
एक ख़ासे मौक़े पर

इस्तिमाल करती हो
किसी और जगह

किसी और शख़्स के सामने
जज़्बात के शिद्दत से इज़हार के लिए

क्या इसी तरह इस लफ़्ज़ को
दोहराया जा सकता है?

क्या इसे कहते हुए
लफ़्ज़ों की साख़्त

और दुरुस्त अदाएगी का
हमेशा ख़याल रखना होगा?

क्या मेरी थोड़ी सी
बे-एहतियाती उस का मफ़्हूम

बहुत ज़ियादा तब्दील तो नहीं कर देगी
क्या इस लफ़्ज़ के लिए

किसी दूसरी ज़बान में
कोई मुतबादिल लफ़्ज़

ज़ियादा मदद-गार साबित नहीं होगा?
और सब बातों के बावजूद

मैं जो कुछ चाहता हूँ
शायद वाज़ेह न हो सके

इस लफ़्ज़ के लिए
जो तुम कहती हो एक ख़ास मौक़े पर

मोहब्बत में शुक्र-गुज़ारी के तौर पर
जब हमेशा की तरह

चीज़ें अपनी जगह तब्दील करना चाहती हैं


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