अनोखा लाडला खेलन को माँगे चाँद कैसी अनोखी बात रे तन के घाव तो भर गए दाता मन का घाव नहीं भर पाता जी का हाल समझ नहीं आता कैसी अनोखी बात रे अनोखा लाडला खेलन को माँगे चाँद प्यास बुझे कब इक दर्शन में तन सुलगे बस एक लगन में मन बोले रख लूँ नैनन में कैसी अनोखी बात रे अनोखा लाडला खेलन को माँगे चाँद