ख़्वाबों की तर्सील का काम एक मुद्दत से बिला-नाग़ा जारी है मैं उन लोगों के लिए ख़्वाब देखता हूँ जो ख़ुद ख़्वाब नहीं देख सकते मैं ख़्वाब देखता हूँ और इन्हें काग़ज़ पर लिखता हूँ कभी आधा कभी पूरा और कभी पूरे से भी ज़ियादा कभी कभी तो ख़्वाब इतने ज़ियादा हो जाते हैं कि काग़ज़ से बह कर ज़मीन पर या मेरे कपड़ों पर या बेड-शीट पर कभी कभी तो नाश्ते की मेज़ पर भी गिर जाते हैं जिन्हें समेटना एक मुश्किल काम है लोग काग़ज़ से मेरे ख़्वाब चाटते हैं और होंटों पर ज़बान फेरते हुए कहते हैं आज भी नमक ज़रा कम रह गया है यही एक जुमला मेरी उजरत है ये मैं उन लोगों की बात कर रहा हूँ जो ख़ुद ख़्वाब नहीं देख सकते जो देख सकते हैं उन का रवैया क़द्रे बेहतर है याद रहे मैं ये काम उजरत के बग़ैर भी कर लेता हूँ लेकिन उस वक़्त मुझे बहुत दिक़्क़त होती है जब रात आँखों में कट जाती है और ख़्वाब दूर दूर तक दिखाई नहीं देते उस वक़्त हाथ मलते हुए नींद और ख़्वाब का इंतिज़ार बहुत तकलीफ़-दह होता है लेकिन कभी कभी जब मैं सो कर उठता हूँ तो ख़्वाब मेरे दरवाज़े पर दस्तक देते हैं