धुँद अच्छी है मिरे ज़ेहन की हम-ज़ाद है धुँद धुँद अच्छी है हर इक जब्र से आज़ाद है धुँद धुँद में डूबे हुए ख़ार ओ गुल ओ संग ओ ज़ुजाज अच्छे हैं एक इबहाम में तहलील हुए जाते हैं मंज़र सारे पर्दा-ए-ज़ेहन पे कजलाए हुए शहर की तस्वीर है धुँद ख़्वाब में देखे हुए ख़्वाब की ताबीर है धुँद हाँ मगर धुँद के उस पार चमकता सूरज तुंद-ख़ू शोला-नफ़स होंकते मुरक्कब पे सवार अपनी हीरे की कनी ऐसी अनी ले के बढ़ा आता है