जज़्बों की लड़ाई में जब कभी एहसास पर वार हो जाए सब बे-कार हो जाए दुआओं का एक मुक़द्दस सिलसिला आसमानों से अपना नाता तोड़ डाले वक़्त हम को वहशतों के हवाले कर के चुप-चाप रुख़्सत हो जाए और मुक़द्दर भी पनाह देने से मुंकिर हो जाए तो ये सब फ़क़त इस बात का इशारा है... कि ख़ुद से बे-ख़बर हो कर जो लम्हा आलूदा कर के हम ने फ़लक की तरफ़ उछाला था आज वही लम्हा आसमानों से फ़तवा ले कर हम पर हुक्मरानी करने आया है