दिल का मौसम By Nazm << तिरे ए'जाज़ से अगर मुझे ज़बाँ मिले >> बारिशें बादल घटाएँ सनसनाती ये हवाएँ ये फुवारें ये महक मिट्टी के सोंधे जिस्म की कितना प्यारा है ये सब कुछ पढ़ रही हूँ इस दरीचे से मैं मौसम की ख़बर हाँ मगर ये तो तुम भी जानते हो दिल का मौसम और है Share on: