ऐ दिल-ए-मुज़्तरिब ऐ मिरे बेवफ़ा ऐ मिरे बे-रहम अब ठहर जा ज़रा जान-ए-मन बाज़ आ बाज़ आ चाहे जाने की ख़्वाहिश में मारा गया इन सराबों के पीछे तू घायल हुआ मेरे मिज़्गाँ पे तारे हैं बिखरे हुए कौन देखे इन्हें हैं दिया सी इन आँखों में पल पल जो परवाने मचले हुए ये तो जल जाएँगे ख़ाक हो जाएँगे चाहे जाने की ख़्वाहिश में मर जाएँगे ऐ दिल-ए-बे-ख़बर तू न सह पाएगा तू भी मर जाएगा ऐ मिरे चारागर तू कि ख़ुद ही मरज़ तू कि ख़ुद ही शिफ़ा तू मसीहा भी ख़ुद तू कि ख़ुद ही दवा ऐ दिल-ए-बे-ख़बर चाहे जाने की सब शिद्दतों को घटा बाज़ आ बाज़ आ