मैं देख रहा हूँ एक फ़िल्म जिस में लोगों की नींद किसी ने चुरा ली है मैं खींच रहा हूँ एक याद जिस में घुंघरू मेरे पाँव से अलाहिदा कर लिए गए मैं ढूँड रहा हूँ एक नई नौकरी जिस में मुझे पार्ट टाइम में मोहब्बत करने की इजाज़त हो मैं छोड़ रहा हूँ डायरी का एक ख़ाली सफ़हा जिस पर कोई भी कुछ भी लिख सकता है मैं चुन रहा हूँ वो पत्थर जो औरतों को संगसार करते हुए बच जाते हैं मैं भूल रहा हूँ वो शख़्स जो मुझे तोहफ़े में अपनी दीवार दे कर मर गया मैं फेंक रहा हूँ अपना नाम उस रास्ते पर जहाँ से कल मेरा जनाज़ा गुज़ारा जाएगा मैं ड्रा कर रहा हूँ एक पहाड़ जिस पर से कूद कर मैं अपनी जान दे दूँगा