दो अजनबी By Nazm << बाबा गाँधी अख़रोट का पेड़ और एक नादा... >> इक पत्ती के टूटने गिरने की आवाज़ से सिहर उठा है सहेमता पेड़ बे-तअल्लुक़ शाख़ पर बैठी है चिड़िया नाक के नीचे पड़ा है घोंसला बिखरा हुआ जिस के गिरने और बिखरने की सदा से बे-ख़बर है पेड़ मुद्दतों से वो हमारी ही तरह हैं साथ साथ Share on: