आज भी सुब्ह से निकले थे कहीं कोई उम्मीद कोई आस नहीं कोई वअ'दा कोई इक़रार नहीं कौन जाने कि कहाँ जाते हो रोज़ आते हो चले आते हो अजनबी देस है परदेसी हो कोई रिश्ता कोई नाता भी नहीं कोई अपना या पराया भी नहीं नौकरी या किसी धंदे के लिए कोई नेता या कोई अफ़सर है कोई फ़न कोई हुनर आता है दस्त-कारी या कोई काम नहीं घर से कुछ साथ में लाए होगे ख़र्च के वास्ते कुछ दाम नहीं जाने किस आस पे तुम जीते हो जाने तुम खाते हो क्या पीते हो आज भी सुब्ह से भूके होगे नाश्ता चाय या कुछ और नहीं