अगरचे हैं अपनी जगह सारे काम मगर डॉक्टर का है अपना मक़ाम ज़रा दर्द में मुब्तला हों अगर पुकारे हैं सब डॉक्टर डॉक्टर कहीं पर अगर हो बुरा हादिसा तो फिर काम आता है ये नाख़ुदा कहीं ऑपरेशन कहीं सर्जरी भला किस से होगी ये चारागरी बदन का हर इक ज़ख़्म भरने को हैं मसीहा ही ये काम करने को हैं मगर काम ये ज़िम्मेदारी का है और एहसास ईमान-दारी का है है इस काम में यूँ तो मेहनत बड़ी ख़ुदा इन को देता है इज़्ज़त बड़ी बड़े हो के सोचा है मैं ने यही कि मैं डॉक्टर ही बनूँगी कभी ग़रीबों से मैं फ़ीस लूँगी नहीं कभी ये गुनाह मैं करूँगी नहीं मिरी ये दुआ सुन ले मेरे ख़ुदा मुझे ऐसी ख़िदमत के लाएक़ बना