बाम-ओ-दर चुप साध चुके हैं ताक़ में इक मिट्टी का दिया अँधियारों से बातें करता है मेरे बच्चे मेरी झूटी बातें सुन कर अभी सोए हैं रात का आख़िरी पहर है मैं हूँ सच्चे मालिक आज मैं पहली बार दुआ को हाथ उठाए तुझ से इतना चाहता हूँ जब तक मेरे बच्चे जागें मेरी सारी झूटी बातें सच्ची कर दे