नीम के साए में एक खुरदुरे फ़ुट-पाथ पर लहकते सूरज से परे शिकस्ता चोबी गाड़ी की ज़मीं पे टेढ़े मेढ़े हाथ पाँव में उलझती हयात ग़म-ज़दा आँखों के दर्द लब पे इक ख़ामोश कर्ब मुँह से कुछ बहते लुआब अपनी जानिब खींचते हैं बोलते सुकूँ के ढेर
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