दुनिया में कोई किसी से मोहब्बत नहीं करता हर शख़्स अपनी ज़ात से मोहब्बत करता है दरख़्त की शाख़ें रौशनी की तरफ़ लपकती हैं तो जड़ें नमी की हम ने अपने गिर्द ख़ुद-ग़र्ज़ी का जाल बिछा रखा है दोस्ती मोहब्बत स्वार्थ के ही मुख़्तलिफ़ नाम हैं मुझे तुम से मोहब्बत है कि वो मेरी ज़रूरत है और हर आदमी अपनी ज़रूरत पूरी करता है तुम्हें अपनी बीवियों से मोहब्बत है कि वो तुम्हारे लिए सहूलियात फ़राहम करती हैं और मुझे अपने बच्चों से प्यार है कि मेरा स्वार्थ बहुत है इन में वो मर गया मुझे दुख हुआ मैं रो पड़ा मैं क्यों रोया उस से अपने तअल्लुक़ के इज़हार के लिए या अपनी उन ज़रूरियात के लिए जो वो पूरी करता था या उस के उस किरदार के लिए वो मेरे लिए अदा करता था वो अब मेरे लिए कुछ नहीं कर सकेगा मैं रोया सिर्फ़ अपने लिए