दुश्मन By Nazm << ध्यान क़ब्र में उतरता ख़य... कहफ़-उल-क़हत >> इस जीवन की राहगुज़र में कैसे उम्र बिताऊँ चुप साधूँ तो दिल में जैसे शोअ'ला भड़का जाए भीड़ से हट कर बात कहूँ तो दीवाना कहलाऊँ सच पूछो तो मेरा दुश्मन है मेरा एहसास Share on: