ऐ ज़र्द-रू By Nazm << गर टूट गए तो हार गए एक दिन यूँ ख़िज़ाँ आ गई >> मैं जानती नहीं तुझे तू कौन थी नहीं पता मगर तिरी हयात की दुआ मिरी हयात है तू तंदुरुस्त हो के कब दिखाएगी Share on: